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Can you explain the Pyramid of Giza?

Can you explain the Pyramid of Giza?

Can you explain the Pyramid of Giza?

The Pyramid of Giza, also known as the Great Pyramid of Giza, is the oldest and largest of the three pyramids in the Giza pyramid complex located on the outskirts of Cairo, Egypt. It was built around 2560 BC during the Fourth Dynasty of the Old Kingdom period of Ancient Egypt.

The Great Pyramid of Giza was originally built as a tomb for the pharaoh Khufu (also known as Cheops). It is made of millions of limestone blocks, each weighing an average of 2.5 tons, and is estimated to have taken around 20 years to build. The pyramid is 146 meters (479 feet) tall, and its base measures about 230 meters (756 feet) on each side.

The pyramid is composed of a series of internal chambers, including the King’s Chamber, the Queen’s Chamber, and a series of passageways and ventilation shafts. The King’s Chamber is located in the center of the pyramid and contains a large granite sarcophagus that was likely intended to hold the pharaoh’s mummified body. The pyramid was built with a complex system of internal corridors and chambers, designed to protect the pharaoh’s body and provide him with everything he would need in the afterlife.

The construction of the Great Pyramid of Giza remains a mystery, as there is no clear explanation for how the ancient Egyptians were able to move such massive stones and construct the pyramid with such precision. Some have suggested that the stones were transported on wooden sledges and rolled along on logs, while others have proposed that the stones were lifted into place using cranes powered by human or animal labor. Regardless of the methods used, the construction of the Great Pyramid of Giza remains one of the most impressive feats of engineering in human history.

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26जनवरी की हार्दिक शुभकामनाये

हर वर्ष 26 जनवरी को हमारे देश में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। हम सभी देशवासियों को भारत का नागरिक होने का गर्व है। 26 जनवरी 1950 को हमारा देश एक प्रजातान्त्रिक गणतंत्र देश बना था। इस दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था


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हर वर्ष 26 जनवरी को हमारे देश में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। हम सभी देशवासियों को भारत का नागरिक होने का गर्व है। 26 जनवरी 1950 को हमारा देश एक प्रजातान्त्रिक गणतंत्र देश बना था। इस दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था।

देशभक्तों के त्याग, तपस्या और बलिदान की अमर कहानी 26 जनवरी का पर्व समेटे हुए है। उत्सर्ग और शौर्य का इतिहास भारत की भूमि पर पग-पग में अंकित है। किसी ने सच ही कहा है-

कण-कण में सोया शहीद, पत्थर-पत्थर इतिहास है।

26 जनवरी हमारे देश के लिए बहुत खास दिन है। गणतन्त्र (गण+तंत्र) का अर्थ है, जनता के द्वारा जनता के लिये शासन। हमारे देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागु हुआ था। 26 जनवरी 1950 को हमारे देश भारत एक गणतंत्र देश बन गया था। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि सभी जाति एवं वर्ग के लोग इसको एक साथ मिलकर मनाते हैं। आप सभी को पता होगा कि रिपब्लिक या गणतंत्र का मतलब क्या होता है। अपने राजनीतिक नेता को चुनने का अधिकार देश में लोगों के ऊपर होता है। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने कड़ी मेहनत और संघर्ष के करके ही भारत को पूर्ण स्वराज दिलाया है। उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया है उसका ही नतीजा है कि आज हम अपने देश भारत में आराम से रह रहें है।

भारत देश के कुछ महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी नेताओं में इन महान नेताओं का नाम आता है। जैसे महात्मा गाँधी, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री इन स्वतंत्रता सेनानियों ने हमारे भारत देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान भी न्यौछावर कर दी थी। और उनके इन महान कामों के लिए ही आज भी उनका नाम भारत देश के इतिहास में लिखा है। न ही सिर्फ लिखा ब्लकि आज भी देश का बच्चा बच्चा उनको याद करता है और उनके तरह बनना चाहता है। लगातार कई वर्षों तक इन महान लोगों ने ब्रिटिश सरकार का सामना किया और हमारे वतन को उनकी गुलामी से आज़ाद कराया। भारत वासी उनके इस बलिदान को कभी भी भुला नहीं सकते हैं। उन्ही के कारण आज हम अपने देश में आज़ादी से सांस ले रहे हैं।

हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि, ” हमने एक ही संविधान और संघ में हमारे पूर्ण महान और विशाल देश के अधिकार को पाया है। जो देश में रह रहे सभी पुरुषों और महिलाओं के कल्याण की जिम्मेदारी लेता है। यह बहुत ही शर्म की बात है कि आजादी के इतने वर्षों के बाद भी हम आज अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा जैसी समस्याओं से लड़ रहे हैं। अब समय आ गया है कि हमें दोबारा एक साथ मिलकर अपने देश से इन बुराइयों को बाहर निकाल फेंकना है जैसे कि स्वतंत्रता सेनानी नेताओं ने अंग्रेजों को हमारे देश से निकाल दिया था। हमें अपने भारत देश को एक सफल, विकसित और स्वच्छ देश बनाना होगा। हमें अपने भारत देश की गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता, आदि जैसे चीजों को अच्छी तरह समझना होगा और इनका हल निकालना होगा।

आओ करे प्रतिज्ञा हम सब इस पावन गणतन्त्र दिवस पर,
हम सब बापू के आदर्शों को अपनायेगे नया समाज बनायेंगे,
भारत माँ के वीर सपूतों के बलिदानों को हम व्यर्थ न जानें देंगे,
जाति ,धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर नया समाज बनायेंगे.

मैं एक बार फिर आपको अपने भाषण को ध्यान से सुनने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं और मुझे आप सभी के सामने अपनी बात रखने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। और आपको भी बात करने का मौका देना चाहता हूं। जय हिन्द! वन्दे मातरम!”

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लोकतन्त्र की शुरुआत

लोकतन्त्र की कहानी कम – से – कम दो सदी पहले शुरू ब्रिटेन मे लोकतन्त्र की शुरुआत फ्रांसीसी क्रान्ति से काफी पहले हो गई थी । 18वीं और 19वीं सदी में हुए राजनैतिक धटनाकमों ने राजशाही और सामन्त वर्ग की शक्ति में कमी कर दी । 1789 में हुई फ्रांसीसी क्रान्ति ने वास्तविक लोकतन्त्र की स्थापना नहीं की थी , लेकिन इस क्रान्ति ने पूरे यूरोप में जगह – जगह पर लोकतन्त्र के लिए संघर्षों को प्रेरणा दी थी ।

• फ्रांसीसी क्रान्ति के आस – पास ही उत्तर अमेरिका में ब्रिटिश उपनिवेशों ने सन् 1776 में स्वयं को आजाद घोषित कर दिया था । इन उपनिवेशों ने ही मिलकर , आगे चलकर संयुक्त राज्य अमेरिका ( यू . एस . ए ) का गठन किया । लोकतान्त्रिक व्यवस्था तथा मताधिकार

• सन् 1787 में यू . एस . ए . ने एक लोकतान्त्रिक संविधान को मंजूर किया , लेकिन इस लोकतान्त्रिक व्यवस्था में भी मतदान का अधिकार पुरुषों तक ही सीमित था । 19वीं सदी में लोकतन्त्र के लिए होने वाले संघर्ष अक्सर राजनैतिक समानता , आजादी और न्याय जैसे मूल्यों को लेकर ही होते थे । इसमें एक मुख्य माँगे वयस्क नागरिकों के मतदान के अधिकार का होना थी । यूरोप के भी देश लोकतान्त्रिक व्यवस्था अपनाने के बावजूद भी सभी  लोगों को वोट देने की अनुमति नहीं देते थे । कुछ देशों में केवल उन्हीं को वोट देने का अधिकार था , जिनके पास सम्पत्ति थी । महिलाएँ वोट के अधिकार से वंचित थी ।

• संयुक्त राज्य अमेरिका में पूरे देश में अश्वेतों को वर्ष 1965 तक मतदान का अधिकार नहीं था । लोकतन्त्र के लिए संघर्ष करने वाले लोग सभी वयस्को – औरत या मर्द , अमीर या गरीब , श्वेत या अश्वेत को मतदान का अधिकार देने की मांग कर रहे थे । इसे ही सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार या सार्वभौम मताधिकार कहा जाता है ।

• सन् 1900 तक न्यूजीलैण्ड ही अकेला ऐसा देश था जहाँ के हर वयस्क व्यक्ति को मतदान का अधिकार प्राप्त था । 20वीं सदी के प्रारम्भ में बहुत – से देशों ने भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को अपनाया , जिसमें लोगों की बड़ी संख्या सरकार का चुनाव करती थी । इसमें पुरुषों की ही भागीदारी अधिक थी ।

• यूरोप , उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के ये देश आधुनिक लोकतन्त्र का पहला समूह बनाते हैं ।

सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का काल क्रम

1893 न्यूजीलैण्ड

1950 भारत

1917 रूस

1951 अर्जेण्टीना

1918 जर्मनी

1952 यूनान

1919 नीदरलैण्ड

1955 मलेशिया

1928 ब्रिटेन

1962ऑस्ट्रेलिया

1931 श्रीलंका

1965 अमेरिका स्पेन

1934 तुर्की

1945 जापान

लोकतन्त्र की शुरुआत हुई

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हिटलर का उदय

हिटलर का जन्म 1889 ई . में ऑस्ट्रिया में हुआ था । हिटलर के उदय के कारणों में वहाँ की सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक त्रासदी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । वर्साय सन्धि ( Versailles Treaty ) के पश्चात् हिटलर वर्ष 1919 में जर्मन कामगार दल में शामिल हो गया , जिसे बाद में राष्ट्रवादी समाजवादी जर्मन कार्यकर्ता पार्टी का नाम दिया गया । कुछ । समय पश्चात् इसी पार्टी को नात्सी पार्टी के रूप में जाना गया । मिलने . वर्ष 1923 में हिटलर ने बर्लिन की ओर कूच करने , बवेरिया पर कब्जा करने तथा सत्ता पर नियन्त्रण स्थापित करने की योजना बनाई । इसके । परिणामस्वरूप हिटलर को गिरफ्तार करके उस पर देशद्रोह का मुकदमा चला , परन्तु जल्द ही उसे रिहा कर दिया गया । । वर्ष 1929 के बाद आर्थिक मन्दी के कारण बैंक दिवालिया ( Bank Collapsed ) हो गए । सभी व्यवसाय बन्द होने के साथ – साथ मजदर बेरोजगार होने लगे । इस समय नात्सीवाद एक जन आन्दोलन के रूप में उभरकर सामने आया । नात्सी ‘ प्रोपेगैण्डा ‘ में लोगों को एक बेहतर भविष्य की झलक दिखाई देती थी । वर्ष 1929 में नात्सी पार्टी को जर्मन संसद राइखस्टाग के लिए चुनावों में केवल 2 . 6 % वोट मिले थे , परन्तु वर्ष 1932 तक आते – आते यह जर्मनी की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी , जिसे आगामी चुनाव में 37 % वोट मिले

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My First Blog Post

Be yourself; Everyone else is already taken.

— Oscar Wilde.

This is the first post on my new blog. I’m just getting this new blog going, so stay tuned for more. Subscribe below to get notified when I post new updates.

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Introduce Yourself (Example Post)

This is an example post, originally published as part of Blogging University. Enroll in one of our ten programs, and start your blog right.

You’re going to publish a post today. Don’t worry about how your blog looks. Don’t worry if you haven’t given it a name yet, or you’re feeling overwhelmed. Just click the “New Post” button, and tell us why you’re here.

Why do this?

  • Because it gives new readers context. What are you about? Why should they read your blog?
  • Because it will help you focus you own ideas about your blog and what you’d like to do with it.

The post can be short or long, a personal intro to your life or a bloggy mission statement, a manifesto for the future or a simple outline of your the types of things you hope to publish.

To help you get started, here are a few questions:

  • Why are you blogging publicly, rather than keeping a personal journal?
  • What topics do you think you’ll write about?
  • Who would you love to connect with via your blog?
  • If you blog successfully throughout the next year, what would you hope to have accomplished?

You’re not locked into any of this; one of the wonderful things about blogs is how they constantly evolve as we learn, grow, and interact with one another — but it’s good to know where and why you started, and articulating your goals may just give you a few other post ideas.

Can’t think how to get started? Just write the first thing that pops into your head. Anne Lamott, author of a book on writing we love, says that you need to give yourself permission to write a “crappy first draft”. Anne makes a great point — just start writing, and worry about editing it later.

When you’re ready to publish, give your post three to five tags that describe your blog’s focus — writing, photography, fiction, parenting, food, cars, movies, sports, whatever. These tags will help others who care about your topics find you in the Reader. Make sure one of the tags is “zerotohero,” so other new bloggers can find you, too.

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